CERVICAL PAIN.:- दोस्तों आपने देखा होगा कभी कभी गर्दन में दर्द होने लगता है। गर्दन में अकडन होने लगती है गर्दन को हिलाने-डुलाने में परेशानी होती है। कई बार लोगों को यह आम समस्या लगती है। कई लोग इस दर्द के साथ लंबे समय तक जीते रहते हैं और इस दर्द को लाइटली लेते हैं लेकिन वक़्त के साथ यह दर्द खतरनाक साबित हो सकता है। यही दर्द सर्वाइकल पैन के लक्षण होते हैं सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन के हिस्से वाली रीढ़ की हड्डी के जोड़ों और डिस्क में समस्या होने से सर्वाइकल पैन होती है।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको सर्वाइकल पेन और उसको दूर करने के घरेलु उपाय के बारे मे बताने वाले हैं।
ऐसा हड्डियों और कार्टिलेज में टूट-फूट होने से होता है। उम्र बढ़ने के अलावा कई और कारण जैसे गर्दन में चोट लग जाना, लिगामेंट्स कड़े हो जाना, शारीरिक सक्रियता की कमी, अपनी गर्दन को असुविधाजक स्थिति में लंबे समय तक होल्ड करना आदि भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।
इसका समय पर इलाज न करने की वजह से सर्वाइकल पैन केवल गर्दन तक ही नहीं रहता है। बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है। गर्दन में दर्द की शिकायत करने वालों की संख्या आजकल तेजी से बढ़ रही है। जिसका कारण है आजकल का मॉडर्न वर्क कल्चर यानी कामकाज के आधुनिक तौर-तरीके।
सर्वाइकल पेन होने के क्या कारण है?
लोग घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठते हैं लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। जिससे यह समस्या होती है यही नहीं मोबाइल को कान और कंधे के बीच फंसा कर बात करने लगते हैं। जो कि शरीर के लिए गर्दन के इस्तेमाल का सही तरीका नहीं है। लोग अपनी गर्दन को टेढ़ा करके मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। इससे गर्दन में तेज दर्द होता है और डेली के काम में परेशानी होने लगती है।
इसके अलावा बेड लाइफ स्टाइल, खराब खानपान, कमजोर इम्युनिटी, ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह से न होने की वजह से इस तरह का दर्द हर उम्र के लोगो में देखने को मिलता हैं। एक हिसाब से देखा जाये तो यह कोई बड़ी प्रोब्लम नहीं है बशर्ते हम इस पर समय पर ध्यान दें तब।
कैसे मालूम पड़ेगा कि यह सर्वाइकल पेन के लक्षण हैं?
इनके लक्षणों में गर्दन में दर्द होना, गर्दन अकड़ जाना और हिलाने-डुलाने में परेशानी होना, हाथ-पैर और पंजों में झुनझुनी, सुन्न महसूस होना या उसमें कमजोरी लगना। सिर के पिछले भाग और कंधों में दर्द, चलने में दिक्कत, मांसपेशियों में एंठन शामिल हैं।
घरेलु उपाय के जरिये सर्वाइकल पेन को दूर कर सकते हैं..
दोस्तों इसके एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर को अच्छे से मिलाएं जब यह अच्छी तरह से मिल जाये तब इसका सेवन करें ऐसा आप रात को सोने से आधा घंटा पहले करना है
हल्दी में करक्यूमिन, एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द को दूर करने वाले गुण होते हैं। जो सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के इलाज के साथ ही गठिया, सूजन और मांसपेशियों को आराम देने का काम करते हैं।
इसके अलावा यह उपाय भी कर सकते हैं। इसके लिए आप रोज सुबह 2-3 लहसुन की कलियों को चबाएं अगर आप सीधे लहसुन नहीं खा सकते हैं। तो इसे आप शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं। लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक दर्द निवारक गुण होते हैं। यह आपके गर्दन के जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए काफी हेल्प करेगा।
दोस्तों यह जो उपाय बताने जा रहा हूँ यह भी बहुत पावरफुल उपाय है। इसके लिए अपनी हथेलियों में एक बड़ा चम्मच तिल का तेल लें। अब शरीर के दर्द वाले जगह पर इस तेल से मालिश करें। मालिश करने के बाद इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद दर्द वाले स्थान पर एक गर्म कंप्रेस से सिकाई करें। इसे दर्द वाले जगह पर करीब 10 मिनट तक रखें और फिर बाद में हटा दें। इसके अलावा आप रोजाना एक चम्मच भुने हुए तिल का सेवन भी कर सकते हैं।
तिल के बीज दर्द को कम करने के लिए बहुत ही अच्छा उपाय हैं। इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों और शरीर के अन्य भागों में होने वाले दर्द को दूर करने में कारगर साबित हो सकता है। आप तिल का तेल शरीर पर लगाने के साथ-साथ सेवन भी कर सकते हैं।
इसके अलावा यह घरेलु उपाय भी कर सकते हैं। इसके लिए एक कप पानी में एक चम्मच पिसा हुआ अदरक मिलाएं 5 से 7 मिनट के लिए उबाल कर अदरक की चाय बना लें। जब यह बन जाये तो इसे थोडा ठंडा होने दें फिर इस अदरक की चाय को पी लें।
अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं जो सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण और इससे होने वाले दर्द को दूर करने में मदद करते हैं। इस चाय का आप डेली सेवन करें।
इस उपाय में आप अरंडी के तेल (CASTER OIL ) से हल्के-हल्के हाथों से दर्द वाली जगह पर मालिश करें।
मालिश करने के बाद 20 मिनट के लिए गर्म कंप्रेस से सिकाई करेंअरंडी के तेल (CASTER OIL ) में रिसिनोलिक एसिड होता है। इसके एनाल्जेसिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों की वजह से यह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के दर्द और सूजन से राहत दिलाने में मदद करता है।
सर्वाइकल पेन से बचने के लिए क्या न करें और क्या करें..
उठने-बैठने चलने से लेकर कम्प्यूटर पर काम करने का पॉश्चर यानी बैठने का तरीका सही करें। मोबाइल फोन पर लंबे समय तक बात एक ही स्थिति में तिरछा न करें और ज्यादा देर तक फोन पर बात करनी भी पड़े तो कान और कंधे के बीच में रखकर न करें। सामने की तरफ भी गर्दन झुका कर मोबाइल स्क्रिन देखने की बजाए आंखों की ऊंचाई के बराबर रखकर देखें बेहतर तो यह होगा कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल न करें।
इसके अलावा हड्डियों को स्वस्थ रखना जरूरी है इसके लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें। सोने का तकिया या कुशन सही आकार का होना चाहिए। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से इस स्थिति से आप बच सकते हैं।
आप ओमेगा-3 से भरपूर डाईट लें ओमेगा-3 में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस से होने वाले दर्द और सूजन से छुटकारा पाने में आपकी मदद करेगा।
व्यायामः सिर को दोनो तरफ या ऊपर और नीचे की ओर मोड़ने या गर्दन को हलका घुमाने पर गर्दन की मांसपेशियों के व्यायाम से मदद मिलती हैं।
बाल आसन या शिशु आसन।
फर्श पर घुटने के बल बैठ जाएँ। अपनी पिंडलियों को ज़मीन पर इस तरह रख दें कि दोनों पंजे आपस में मिले हों। एड़ीयों के भार बैठ जायें। अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर ज़मीन पर रख दें। एक लंबी गहरी श्वास छोड़ें और कमर को झुकाते हुए अपने धड़ को अपनी दोनों जंघाओं के बीच ले आएँ। अब धीरे से अपने सर को ज़मीन पर रख दें।
उतनी ही चेष्ठा करें जितना सरलता से संभव हो सके, अपने आप अधिक ज़ोरदार प्रयास न करें। अपनी हथेलियों को अपने धड़ के दोनों तरफ ज़मीन पर रखे रहें। इसी आसन में जितनी देर संभव हो, विश्राम में रहें। और फिर धीरे से एक श्वास लेते हुए अपने शरीर को धीरे-धीरे उपर उठाते हुए सीधे हो जाएँ। अपनी हथेलियों को आकाश की ओर मुंह करके जंघा पर रखें जैसे ईश्वर को समर्पण कर रहे हैं। इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता है। अपितु मन भी शांत हो जाता है। यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर आपको एक शिशु की सी ताज़गी महसूस कराता है।
त्रिकोणासन
सर्वप्रथम सीधे खड़े हो जाएँ। अब अपने पैरों को जितना फैला सकें फैला दें। अपनी पीठ को सीधे रखते हुए अपनी दोनों बाहों को बगल में फैला कर रखें। एक श्वास भरें और धीरे से अपने दाहिनी ओर झुक जाएँ। आप का दाहिना हाथ आप के घुटनों को स्पर्श करे और बायां हाथ उपर की दिशा में हो। इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएँ हाथ की तरफ देखते रहें। इसी मुद्रा में जब तक रह सकें, रहें। याद रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही यह आसन करें। योग (Yog) का उद्देश्य आपको दर्द से मुक्ति दिलाना है, दर्द देना नहीं।