Bollywood Actress Mumtaz: दोस्तों आज हम बात करेंगे हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अभिनेत्री की जिसने अपने करियर कि शुरुआत बी ग्रेड फ़िल्मों से की, एक ऐसी अदाकारा जिस पर लगा एक्शन क्वीन का ठप्पा | दोस्तों आज के इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों मुमताज़ को स्टंट क्वीन कहा जाता था? क्यों मुमताज़ को दारासिंह की हीरोईन कहा जाता था? डिम्पल कपड़िया ने क्यों कहा था कि काका को यानि राजेश खन्ना को मुमताज से शादी कर लेनी चाहिए और क्यों मुमताज़ ने कपूर ख़ानदान की बहु बनने से इनकार कर दिया था |
अपनी मेहनत और क़ाबिलियत से बनी हिंदी सिनेमा की महिला सुपर स्टार, जिसने अपनी ख़ूबसूरती और अदाकारी से हिंदी सिनेमा में एक अध्याय लिखा|
मुमताज़
बड़ी आँखों वाली इस हसीन हीरोईन के हुस्न का जादू ऐसा था कि उस के समय के बड़े बड़े स्टार्स उनके हुस्न के जादू से बच न सके, इनके साथ काम करने के लिए बेताब रहते थे | हम बात कर रहे हैं 60 और 70 के दशक की मशहूर अभिनेत्री मुमताज़ की जो किसी पहचान की मोहताज नही है, जिसने अपना फ़िल्मी करियर घर की ग़रीबी,पैसों की तंगी की वजहों से महज़ ग्यारह साल की छोटी उम्र में बाल कलाकार के रूप में शुरू किया था |
दोस्तों मुमताज़ का जन्म 31 जुलाई 1947 को बम्बई में हुआ था इनके पिता का नाम था अब्दुल सलीम अशकरी, वो एक ईरानी थे और सूखे मेवे का कारोबार किया करते थे, माँ का नाम था शदी हबीब आगा, मुमताज़ की एक बहन भी हैं जिनका नाम है मल्लिका, जब मुमताज़ की उम्र महज़ 16 साल की थी | तब उस छोटी सी उम्र में ही उनकी माँ का तलाक़ हो गया था, अब्दुल सलीम अशकरी ने अपनी पत्नी को कहा था अगर तुम बच्चियों को चुनोगी तो में तुम्हें एक कौड़ी भी नही दूँगा, तब मुमताज़ की माँ ने पैसों के बजाय अपनी दोनो बच्चियों मुमताज़ और मल्लिका को चुना, दोनो बच्चियों को लेकर वो अपने मायके आ गयी, उधर अब्दुल सलीम अशकरी ने दूसरी शादी कर ली, मुमताज़ का बचपन बहुत ग़रीबी से गुजरा था उनकी माँ फ़िल्मों में एक्स्ट्रा के रूप में काम करने लगी थी, लेकिन जो भी कमाई हो रही थी, उससे घर का खर्च आसानी से नही चल पा रहा था और जब वो दूसरे बच्चों को फ़िल्म में काम करते देखती थी तो सोचती क्यों न मेरी बेटियाँ भी फ़िल्मों में काम करें, इसलिए अपनी दोनो बेटियाँ मुमताज़ और मल्लिका को लेकर फ़िल्म के सेट पर आने लगी और फिर आगे चलकर उनका ये सपना साकार भी हुआ I
बेहद खूबसूरत छोटी सी मुमताज़ को महज़ 11 साल की उम्र में एक फ़िल्म में काम मिला, फ़िल्म का नाम था सोने कि चिड़िया, यह फ़िल्म सन 1958 में रिलीज़ हुयी थी और पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर बाल कलाकार के रूप में नज़ार आयीं मुमताज़…और ऐसे ही छोटे छोटे रोल उन्हें और फ़िल्मों में मिलते चले गये और जब टीन एज में कदम रखा तो साल 1960 में उन्होंने दो फ़िल्मों में काम किया फ़िल्म का नाम था, स्त्री और वल्लाह क्या बात है….फिर आया वो साल जब मुमताज़ ने पहली बार एक ग्रेड की फ़िल्मों में काम किया, 14 साल की उम्र थी फ़िल्म का नाम था, गहरा दाग इस फ़िल्म में हीरो की बहन का रोल किया था I
मुमताज की यह फ़िल्म हिट साबित हुयी इसके बाद एक और हिट फ़िल्म आयी मुझे जीने दो, इसमें भी छोटी सी भूमिका थी, अब मुमताज़ को लगातार काम मिलने लगा था, पर अब वो कुछ बड़ा करना चाहती थी, उन्ही दिनो दारा सिंह फ़िल्म किंग कांग के हिट होने के बाद अपनी दूसरी फ़िल्म फ़ौलाद के लिए अभिनेत्री ढूँढ रहे थे, उस दौर की बड़ी अभिनेत्रिया दारा सिंह के साथ काम करने से मना कर दिया था, सभी अभिनेत्रियों ने अपनी अपनी वजह अलग अलग बताई थी, लेकिन अंदर की सच्चाई ये थी की कोई भी हिट हीरोईन पहलवान के साथ क्यों काम करेगी, यह कहकर काम करने से साफ़ इनकार कर दिया था, उन्ही दिनो मुमताज़ अपनी बहन मल्लिका के साथ किसी फ़िल्म के सेट पर गयी थी|
अभिनेता दारा सिंह को मुमताज़ में अपनी फ़िल्म की हीरोईन की झलक दिखी और इधर मुमताज़ को एक बड़े ब्रेक की ज़रूरत थी, दोनो की निजी ज़रूरतों ने हिंदी सिनेमा के इतिहास में। एक और पन्ना जुड़ना तय हो गया और इस तरह बनी हिंदी सिनेमा में एक नई जोड़ी, हिंदी सिनेमा के पहले बाहुबली दारासिंह और कम उम्र की खूबसूरत मुमताज़ की जोड़ी ने ही हिंदी सिनेमा में एक्शन और ड्रामा फ़िल्मों में भूचाल सा ला दिया और दोस्तों इसी जोड़ी ने अगले 6 सालों तक फ़िल्मों में एक से बढ़कर एक हिट फ़िल्में दी, मुमताज़ को उनकी अदाकारी और ख़ूबसूरती के लिए फ़िल्म क्रिटीक्स से लेकर औडियंस तक सब ने सराहा|
दारा सिंह के साथ रेगुलर 16 फ़िल्मों में उनकी नायिका की भूमिका निभाने के बाद मुमताज़ को दारा सिंह की परमानेंट हीरोईन भी कहा जाने लगा था, इन्ही फ़िल्मों में काम करने के दौरान हिंदुस्तान के पहले रुस्तमे हिंद एक्टर दारा सिंह और कम उम्र की मुमताज़ की नज़दीकियाँ बढ़ने लगी थी, लेकिन मुमताज़ समझ रही थी की उनकी एक्शन हीरोईन की ख़तरनाक इमेज उन्हें हिंदी सिनेमा में बहुत दुर तक नही ले जा पाएगी इसलिए मुमताज़ ने अपनी एक्शन हीरोईन की इमेज तोड़ने की कोशिशें तेज कर दी, मुमताज़ की मेहनत रंग लाई फिर आया साल 1969, मुमताज़ और राजेश खन्ना की दो ब्लॉक बास्टर फ़िल्में एक ही साल में रिलीज़ हुई, जिसने मुमताज़ को हिंदी सिनेमा की उभरती हुयी खूबसूरत सुपर सितारा बना दिया था और यही से दारा सिंह और मुमताज़ के दरम्यान दूरियाँ बढ़ती चली गयी और इस तरह से मुमताज़ अपने उस इमेज से बाहर निकल गयी कि मुमताज़ सिर्फ़ दारासिंह की ही हीरोईन है…
मुमताज़ के करियर का ग्राफ़ बढ़ता चला गया मुमताज़ की ख़ूबसूरती और अभिनय की तारीफ़ बॉलीवुड की हर गली कूचों में होने लगी थी,
उस दौरान मुमताज़ राजेश खन्ना की जोड़ी ने जो हिट फ़िल्में दी वो आज भी हिंदी सिनेमाँ के इतिहास में अमर है, 1970 में सच्चा झूठा, 1971 में दुश्मन, 1972 में अपना देश, 1974 में रोटी, आपकी क़सम, 1975 में प्रेम कहानी इन फ़िल्मों के गाने भी सुपर डुपर हिट रहे थे, यही से खूबसूरत मुमताज हिंदी फ़िल्म निर्माताऑ के लिए लकी चार्म साबित होने लगी थी, फ़िल्म निर्माताओ के लिए राजेश खन्ना और मुमताज़ की जोड़ी 100% सफलता की गारंटी थीI
दोस्तों ये वो दौर था जब राजेश खन्ना और मुमताज़ को सिल्वर स्क्रीन पर अधिकतर साथ देखा जाता था, जिस वजह से राजेश खन्ना और मुमताज़ का नाम एक साथ जोड़कर देखा जाने लगा था, हालाँकि कभी भी इन दोनो ने पब्लिकली इस बात को स्वीकार नही किया था, इन दोनो की दोस्ती का आलम बहुत ही अनोखा था, इनकी दोस्ती का ऐसा रंग था जो बड़े बड़े निर्माता निर्देशक के फ़िल्मों के गाने रिहर्शल राजेश खन्ना के घर पर होने लगे थे, मुमताज़ को घर बुलाकर पहले रिहर्सल करते थे और तब फिर शूटिंग के लिए जाते थे, उस समय दोनो के बीच अफ़ेयर होने की खबर ने काफ़ी तूल पकड़ा था, तब राजेश खन्ना की पत्नी डिम्पल कपाड़िया ने कहा था…काका को मुमताज़ के साथ शादी कर लेनी चाहिए थी, लेकिन मुमताज़ ने इस बारे में खुलकर कभी कुछ नही कहा I
दोस्तों ऐसा नही था की मुमताज़ को नाम और शोहरत आसानी से मिला था, मुमताज़ ने अपने फ़िल्मी करियर में वो दौर भी देखा था जब कुछ फ़िल्मी सितारों ने मुमताज़ को बी ग्रेड की हीरोईन कहकर साथ काम करने से मना कर दिया था, इनमे 70 के दशक में बड़े अभिनेताओं में शशि कपूर का नाम सबसे पहले आता है जिन्होंने 1970 में बन रही फ़िल्म में सच्चा झूठा में मुमताज़ के साथ काम करने के लिए मना कर दिया था, जबकि उस समय तक मुमताज़ किसी नाम की मोहताज नही थी और फिर उसके बाद यही शशि कपूर 1974 में चोर मचाए शोर में मुमताज़ को अपनी हीरोईन लेने के लिए सिफ़ारिश कर रहे थे, लेकिन मुमताज़ खुद एक बड़ी हीरोईन होते हुए कभी भी नए हीरो के साथ काम करने या अपने से कम मशहूर हीरो के साथ काम करने से कभी मना नही किया,
आइए अब जानते हैं क्यों मुमताज़ ने कपूर ख़ानदान की बहु बनने के ऑफ़र को ठुकरा दिया था……
जी हाँ दोस्तों कपूर ख़ानदान के राजकुमार शमी कपूर ने खूबसूरत मुमताज़ के सामने शादी का ऑफ़र रखा था, बात थोड़ी आगे बढ़ी और शमी कपूर ने शर्त रख दी की शादी के बाद आप फ़िल्मों में काम नही करेंगी मुमताज़ ने ये बात नही मानी और शमी कपूर को शादी करने से मना कर दिया, लेकिन पूरे बॉलीवुड में खलबली तब मच गयी जब मुमताज़ ने अचानक ही सिल्वर स्क्रीन की दुनिया को छोड़कर बिज़नेसमेन मयूर माधवानी से शादी कर ली थी, इस बात को लेकर सुपर स्टार राजेश खन्ना बहुत भयंकर रूप से नाराज़ हुए थे, काफ़ी लम्बे अरसे तक दोनो के बीच बातचीत बंद रही, मुमताज़ उस समय अचानक शादी करके अमेरिका चली गयी, मुमताज ने अपने शादी का फ़ैसला उस समय लिया जब उनका फ़िल्मी करियर टॉप पर था, समय के साथ इनके चाहने वाले इन्हें भूलते चले गये इसी बीच खबर आयी की मुमताज़ को कैन्सर जैसी गम्भीर बीमारी ने घेर लिया है लेकिन मुमताज़ ने अपने कैन्सर की बीमारी से अपने आपको टूटने नही दिया था और इसी कैन्सर की लड़ाई में मुमताज़ को बहुत सालों के बाद हिंदुस्तान के सरज़मीं पर पैर रखने के लिए मजबूर कर दिया|
आइए अब बात करते हैं उस घटना के बारे में जब राजेश खन्ना की आखों में आँसू आ गये……
दोस्तों बात उस समय की है जब सुपर स्टार राजेश खन्ना अपनी आख़री समय में हॉस्पिटल में भर्ती थे और अपनी ज़िंदगी और मौत से जूझ रहे थे, उस समय काका यानि राजेश खन्ना ने सबसे बातचीत बंद कर दीं थी, ऐसे समय में मुमताज़ काका से मिलने के लिए हिंदुस्तान आयीं और उनसे मिलने हॉस्पिटल पहुँची, वहाँ सब लोग उस समय हैरत में पड़ गये जब अपनी लाईलाज बीमारी में भी काका मुमताज़ को देखकर मुस्कुरा रहे थे, उनके चेहरे पर ख़ुशी साफ़ झलक रही थी वो खुश होकर उनसे बाते कर रहे थे, काका के एक करीबी ने बताया था की जब मुमताज़ काका से मिली तो राजेश खन्ना के ख़ुशी का ठिकाना नही था, लेकिन जब राजेश खन्ना को पता चला कि मुमताज़ को भी कैन्सर है तो राजेश खन्ना मुमताज़ को देखे जा रहे थे और रोए जा रहे थे, राजेश खन्ना ने बिना कुछ कहे मुमताज़ से बहुत कुछ कह रहे थे …..जिसके कुछ दिनो बाद काका ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, जिस खबर को सुनकर मुमताज़ बहुत दुखी हुयी थी|
60-70 के दशक में हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की ग्लेमर क्वीन के सिंहासन पर बैठी इस हीरोईन ने अपने दौर में राजेश खन्ना, शमी कपूर, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जितेंद्र, देवानंद, दिलीप कुमार, शशि कपूर, संजीव कुमार, फ़िरोज़ खान, राजेंद्र कुमार और दारासिंह जैसे बड़े और ए ग्रेड स्टार्स के साथ काम किया था, आज मुमताज़ कैन्सर से जंग जीतकर हँसी ख़ुशी अपनी फ़ेमिलि के साथ ज़िंदगी गुज़ार रही है…
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