Mithun Chakraborty: दोस्तों बॉलीवुड में कई सारे ऐसे सुपर स्टार्स हुए हैं जिन्होंने फर्श से लेकर अर्श तक का सफ़र तय किया है अपने करियर के शुरूआती दौर में इन स्टार्स ने संघर्ष को इतने करीब से देखा कि शायद कोई आम इन्सान होता तो अपना रास्ता बदल लेता।
आज के इस आर्टिकल में हम कुछ ऐसे कलाकारों के बारे में बात करेंगे जो मिथुन चक्रवर्ती के स्टारडम के आगे फीके पड़ गए।
ContentsMithun Chakraborty: दोस्तों बॉलीवुड में कई सारे ऐसे सुपर स्टार्स हुए हैं जिन्होंने फर्श से लेकर अर्श तक का सफ़र तय किया है अपने करियर के शुरूआती दौर में इन स्टार्स ने संघर्ष को इतने करीब से देखा कि शायद कोई आम इन्सान होता तो अपना रास्ता बदल लेता।मिथुन चक्रवर्तीविनोद मेहरामहेंद्र संधूराकेश रोशनकुमार गौरवऋषि कपूरजितेंद्रहेमंत बिर्जेराज किरणगोविंदाअमिताभ बच्चन
इसके बावजूद अपने मेहनत और जूनून की वजह से इन सितारों ने न सिर्फ सफलता पायी बल्कि शोहरत की बुलंदियां हासिल की, उन सितारों में से एक थे मिथुन चक्रवर्ती जिन्होंने स्टारडम का वो दौर देखा है जो किसी और के लिए किसी सपने से कम नही है उनसे पहले और बाद में बहुत से ऐसे कलाकार आए जिन्होंने या तो उन जैसा बने की कोशिश की या उनसे मुकाबला करने का प्रयास किया पर दोनों ही प्रयास में असफल रहे।
मिथुन चक्रवर्ती
विनोद मेहरा
दोस्तों मिथुन चक्रवर्ती के स्टारडम के तले दबने वाले अभिनेताओं की बात करें तो उनमे से एक थे विनोद मेहरा यूं तो विनोद मेहरा ने अपने करियर की शुरुआत साल 1971 में ही कर ली थी और मिथुन के आने तक उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम भी कर लिया था लेकिन सच कहें तो मिथुन के स्टारडम के आगे विनोद मेहरा सहायक अभिनेता तक ही सीमित रह गए।
इन दोनों ने एक दर्जन से भी अधिक फिल्मों में साथ काम किया है, इनकी शुरुआती फिल्मों में विनोद मेहरा का नाम मिथुन चक्रवर्ती से पहले आता था क्योंकि विनोद मेहरा मिथुन से सीनियर माने जाते थे, लेकिन जैसे-जैसे मिथुन का स्टारडम बढ़ता चला गया वैसे-वैसे विनोद मेहरा का नाम और शोहरत धीरे-धीरे नीचे दबता चला गया।
विनोद मेहरा अक्सर मिथुन चक्रवर्ती की फिल्मों में सहायक भूमिका निभाते हुए नजर आते थे, उन्होंने अपने आखरी वक्त तक जितनी भी सफल फिल्मों में काम किया उनमें से काफी सारी फिल्में मिथुन के साथ थी।
जैसे की प्यारी बहना, प्रेम प्रतिज्ञा, वक्त की आवाज आदि, कहा जा सकता है की जैसे शशि कपूर अपने करियर के ढलान पर बड़ी हिट देने के लिए अमिताभ बच्चन पर पूरी तरह निर्भर हो गए थे वैसे ही विनोद मेहरा 80 के दशक में बड़ी हिट फिल्में देने के लिए मिथुन चक्रवर्ती पर निर्भर नजर आते हैं।
महेंद्र संधू
मिथुन चक्रवर्ती के स्टारडम के आगे दबने वाले अगले एक्टर का नाम है महेंद्र संधू जो फिल्म एजेंट विनोद से स्टार बन गए थे और उनको लेकर कई एक्शन फिल्में बनने लगी थी तब मिथुन चक्रवर्ती बॉलीवुड में काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
आपको बता दें महेंद्र संधू और प्रीति सप्रू को लेकर 1979 में एक फिल्म बनी थी जिसका नाम था हबारी इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती एक गुंडे की भूमिका में एक्स्ट्रा के तौर पर नजर आए थे।
आजकल इस फिल्म की पब्लिसिटी मिथुन के फिल्म के तोर पर होती है, जबकि फिल्म में मिथुन केवल एक ही सीन में गुंडों की टोली में नजर आए थे, लेकिन समय बदला और जिस साल फिल्म हबारी रिलीज हुई थी इसी साल मिथुन ने सुरक्षा और तराना जैसी हिट फिल्में देकर स्टारडम हासिल कर लिया।
यही नहीं मिथुन के साल के दूसरी बड़ी हिट फिल्म तराना के निर्देशक दीपक बाहरी और निर्माता राजश्री प्रोडक्शंस थे, जो एजेंट विनोद के निर्देशक और निर्माता भी रहे थे, यही से महेंद्र संधू का करियर ग्राफ गिरने लगा और मिथुन का करियर ऊपर उठने लगा।
साल 1981 में दोनों ने फिर से साथ में काम किया फिल्म का नाम था मैं और मेरा हाथी इस फिल्म में मिथुन जहां मुख्य किरदार में नजर आए थे वहीं महेंद्र संधू पूनम ढिल्लों के भाई के रोल में दिखे, इसके बाद तो महेंद्र संधू का करियर धीरे-धीरे डूबता चला गया और कुछ ही फिल्में करने के बाद वो फिल्मों से लगभग गायब ही हो गए।
राकेश रोशन
मिथुन के स्टारडम के आगे दबने वाले अगले अभिनेता की बात करें तो वो हैं राकेश रोशन, दोस्तों राकेश रोशन ने अपना करियर लगभग 1970 में ही शुरू किया था, लेकिन उन्हें भी बतौर लीड अभिनेता सफलता नहीं मिली।
यही वजह रही की जब मिथुन चक्रवर्ती ने कम बजट की हिट फिल्में देनी शुरू की तो राकेश रोशन ने उनकी फिल्मों में सहायक भूमिकाओं को करना स्वीकार कर लिया दोनों साथ में 1981 में जीने की आरजू और 1982 में करवट जैसी सफल फिल्में दी थी।
राकेश रोशन मिथुन के स्टारडम से अच्छी तरह से वाकिफ थे शायद इसीलिए अपनी खुद की प्रोडक्शन की फिल्म जग उठा इंसान में उन्होंने लीड रोल मिथुन को दिया और खुद सहायक भूमिका स्वीकार की।
कुमार गौरव
मिथुन चक्रवर्ती के स्टारडम के आगे दबने वाले अगले एक्टर है कुमार गौरव दोस्तों कुमार गौरव एक समय बड़े रोमांटिक अभिनेता माने जाते थे जिनकी पहले फिल्म लव स्टोरी ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी इसके बाद उनकी दूसरी फिल्म तेरी कसम भी सफल रही।
हर टॉप का बैनर और अभिनेत्री कुमार गौरव के साथ काम करने को उतावले थे और मिथुन को लगभग नजरअंदाज ही किया जा रहा था। कहा जाता है की पूनम ढिल्लों ने मिथुन को बी ग्रेड हीरो कहकर उनके साथ फिल्म करने से साफ माना कर दिया और उसके जगह कुमार गौरव के साथ फिल्म रोमांस साइन कर ली। लेकिन मिथुन के सितारे जैसे ही बुलंदी पर पहुंचे इनकी भी अकड़ जाति रही..वहीं रोमांस फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई।
सिर्फ 2 सालों के अंदर कुमार गौरव के साथ काम करने के लिए कोई अभिनेत्री नहीं बची और मिथुन के साथ काम करने को सब तैयार हो गए कुमार गौरव के वो दिन भी आए जब 1991 में अपने करियर को बचाने के लिए वो फिल्म प्रतिज्ञा बद्ध में मिथुन के भाई का रोल करने को भी तैयार हो गए हालांकि वो फिर भी अपना डूबता करियर नहीं बचा पाए।
आइये दोस्तों अब बात करते हैं एक और ऐसे अभिनेता की जिसकी फिल्मों में मिथुन जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर नजर आए थे और बाद में खुद मिथुन स्टारडम के रेस में उनसे आगे निकल गए थे।
ऋषि कपूर
यहां हम बात कर रहे हैं ऋषि कपूर की जिस समय मिथुन इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे थे। काम पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे, उसी समय उन्होंने ऋषि कपूर की दो फिल्मों में बतौर एक्स्ट्रा काम किया था ये फिल्में थी खेल खेल में और फूल खिले हैं गुलशन गुलशन।
इन फिल्मों से हालांकि मिथुन के करियर को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा, मिथुन 80 के दशक में खुद को एक्शन हीरो और डांसर के रूप में स्थापित करने की कोशिश की थी लेकिन इस समय कर्ज जैसी कल्ट फिल्म के जरिये पॉप कल्चर में ऋषि कपूर एक स्थापित कलाकार थे, साल 1982 में डिस्को थीम और डिस्को गीतों वाली कई फिल्में रिलीज हुई इनमें से ज्यादातर फिल्में बड़े बजट की थी।
जिसमे बड़े-बड़े कलाकारों ने काम किया था, इन फिल्मों का मुकाबला डिस्को डांसर जैसी एक कम बजट की फिल्म से रही, पर इन सभी फिल्मों के बीच सही मायनों में सफलता केवल डिस्को डांसर को ही हासिल हुई।
इन फिल्मों में शामिल थे सनम तेरी कसम जिसमें कमल हसन ने डांसर की भूमिका निभाई इस फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीदें थी क्योंकि फिल्म का निर्माण अभिनेत्री रीना राय प्रोडक्शन के बैनर तले हो रही थी और कमल हसन एक दूजे के लिए जैसी ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म देकर आए थे।
पर फिल्म ने केवल औसत सफलता हासिल की इसके अलावा कुमार गौरव, रति अग्निहोत्री स्टार भी इस साल की एक और डिस्कोथीम पर आधारित फिल्म आई थी जो की बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फलाफ हो गई और साल की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्म करार दी गई।
एक और फिल्म जमाने को दिखाना है की कहानी में यूं तो डिस्को शामिल थी और इस फिल्म के लिए लंदन से डिस्को लाइटिंग लाई गई जिन्हें कंप्यूटर के द्वारा ओपरेट किया जाता था यह भारत में इस तरह की लाइटिंग के सबसे पहले प्रयोग में से एक थी..जिसे फिल्म के तीन गानों में शामिल किया गया और ये फिल्म भी नहीं चली, ऐसे में डिस्को डांसर जैसी फिल्म के अप्रत्यासित सफलता ने लोगों को हैरत में डाल दिया।
डिस्को डांसर के साथ ही ऋषि कपूर की जगह पोप कल्चर में मिथुन ने ले लिया आगे चलकर ऋषि कपूर ने फिल्म प्यार के काबिल में बप्पी लहरी के संगीत में रेड लाइट ग्रीन लाइट गीत में मिथुन चक्रवर्ती जैसा डांस करने की भरसक कोशिश की, लेकिन यह गाना और फिल्म दोनों बुरी तरह से असफल रहे।
यहाँ यह जानना भी रोचक है की जिस फिल्म ने मिथुन को सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया वो मिथुन चक्रवर्ती से पहले ऋषि कपूर को ऑफर हुई थी यह फिल्म थी साल 1985 की प्यार झुकता नहीं, दरअसल 1979 में चुनौती नाम से एक फिल्म बनाई गई थी जिसमें नीतू सिंह ने काम किया था उन्हें के जरिये बोकाडिया साहब ने ऋषि कपूर से संपर्क किया और उन्हें ये फिल्म ऑफर की, लेकिन काफी कोशिशो के बावजूद ऋषि कपूर इस फिल्म को करने के लिए सहमत नहीं हो पा रहे थे।
इसके बहुत से कारण रहे पहला कारण ये की ऋषि कपूर को लगा इस फिल्म की स्टोरी में कुछ खास दम नहीं है और ये फिल्म नहीं चलेगी लेकिन जब फिल्म को जबरदस्त कामयाबी मिली तो ऋषि कपूर के खास दोस्त जितेंद्र ने उन्हें समझाते हुए कहा था की तुम कौन होते हो ये फैसला करने वाले की कौन सी फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।
दूसरा कारण ये रहा की ऋषि कपूर उस समय फिल्म जमाने को दिखाना है की शूटिंग कर रहे थे और उन्हें लग रहा था की जमाने को दिखाना है बहुत बड़ी हिट होगी और उनके सितारे आसमान पर होंगे ऐसे में उन्हें प्यार झुकता नहीं जैसी कम बजट की फिल्म करके अपना मार्केट डाउन नहीं करना चाहिए।
तीसरा कारण था फिल्म प्यार झुकता नहीं में उन्हें एक बेटे के बाप की भूमिका निभानी थी और उन्हें लगा की ऐसा करने से उनके लवर बाय इमेज पर असर पड़ेगा और लोग उन्हें बाप वाली भूमिकाएं देने लगेंगे।
पद्मिनी कोल्हापुर बताती हैं की प्यार झुकता नहीं फिल्म उनको और ऋषि कपूर को साथ में ऑफर हुई थी और ऋषि कपूर को लगा की फिल्म की कहानी बॉबी से काफी हद तक मिलती जुलती है।
इसका कारण ये था की प्यार झुकता नहीं जिस पाकिस्तानी फिल्म से प्रेरित थी उसके कई दृश्य और संवाद हूबहू बॉबी से लिए गए थे। इसी वजह से ऋषि कपूर इस फिल्म में काम करने में इन्ट्रेसटेट नहीं थे।
जो उनकी ही फिल्म से प्रेरित होकर बनाई गई थी, बाद में ऋषि कपूर को ये फिल्म छोड़ने का बेहद अफसोस हुआ और उन्होंने अपनी आत्मकथा खुल्लम खुला में लिखा भी की अगर उन्हें किसी फिल्म को ना करने का अफसोस है तो वो फिल्म है प्यार झुकता नहीं, ऋषि कपूर ने भी प्यार झुकता नहीं की सफलता को दोहराने के लिए के .सी . बोकाडिया के ही साथ नसीब अपना अपना और मोहब्बत का पैगाम सरीखी फिल्मों में काम किया।
लेकिन वो प्यार झुकता नहीं की सफलता को दोहरा नहीं पाए, बरहाल ऋषि कपूर और मिथुन चक्रवर्ती तब आमने सामने आए जब ऋषि कपूर उमेश मेहरा के साथ फिल्म प्यार के दो पल में काम कर रहे थे।
लेकिन आपसी विवाद के कारण उनको हटाकर फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती को कास्ट कर लिया गया ये बात ऋषि कपूर को जरा भी पसंद नहीं आई और उन्होंने निर्देशक अनिल गांगुली को उसी फिल्म का स्क्रिप्ट सुनाते हुए फिल्म को बनाने के लिए कहा, कहते हैं की ऋषि कपूर ने इस फिल्म पर पैसा भी लगाया था।
दरअसल यह दोनों ही फिल्में ऋषि कपूर की पत्नी नीतू सिंह की फिल्म दो कलियां की रीमेक थी अब दोनों ही फिल्मकारो में जल्दी से जल्दी फिल्म खत्म करके रिलीज करने की होड मच गई लेकिन ऋषि कपूर की फिल्म प्यार के काबिल के हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुरी ने इसी बीच शादी कर ली और हनीमून के लिए लंदन चली गई। जिससे प्यार के काबिल फिल्म डिले हो गई और प्यार के दो पल पहले बनकर रिलीज हो गई हालांकि ये फिल्म औसत रही लेकिन इसने प्यार के काबिल से बेहतर कमाई की और प्यार के काबिल बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई।
मिथुन ने 80 के दशक में ऐसी धाक जमाई की ऋषि कपूर उनके सामने सहायक अभिनेता बनकर रह गए साल 1987 की फिल्म हवालात में मिथुन चक्रवर्ती जहां लीड रोल में नजर आए वही ऋषि कपूर अपनी कई फिल्मों के हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुर के भाई की भूमिका में दिखे..इस तरह से 80 के दशक में मिथुन चक्रवर्ती के सामने ऋषि कपूर पुरी तरह से फीके साबित हुए।
मिथुन का एक ऐसा दौर भी आया जब उनको धुतकारने वाले भी उनका मुरीद बनने को मजबूर हो गए मिथुन ने अपने इंटरव्यू में बिना किसी का नाम लिए कहा था की अपने करियर की शुरुआत में एक बड़े अभिनेता ने उनसे कहा था, अगर ये काला लड़का फिल्मों में हीरो बन गया तो मैं फिल्में करना ही छोड़ दूंगा।
जितेंद्र
बाद में उन्होंने मिथुन के साथ कई फिल्मों में काम किया भले ही मिथुन ने कभी खुद से किसी का नाम नहीं लिया पर कई लोगों का मानना है की वो अभिनेता कोई और नहीं बल्कि जितेंद्र थे जिन्होंने पहले मिथुन का मजाक उड़ाया और बाद में उनसे बड़े स्टार बन जाने के बाद दोनों ने स्वर्ग से सुंदर और ऐसा प्यार कहां जैसे सफल फिल्मों में साथ काम किया।
साल 1986 तक आते-आते जितेंद्र की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल होने लगी ऐसे में जितेंद्र को मिथुन के स्टारडम का फायदा मिला प्यार झुकता नहीं की अपार सफलता के बाद, तो जितेंद्र भी मिथुन के साथ काम करने को मजबूर हो गए।
1986 में स्टारडस्ट पत्रिका ने अपने आर्टिकल में कहा की जितेंद्र की फिल्में जिस तरह से असफल हो रही हैं, अब उन्हें मिथुन का ही सहारा है जिनके दम पर जितेंद्र को जाल, स्वर्ग से सुंदर और ऐसा प्यार कहां जैसी सफल फिल्में नसीब हुई, इस तरह मिथुन ने बिना कुछ कहे सिर्फ अपने काम से अपने बेइज्जती का बदला ले लिया।
हेमंत बिर्जे
दोस्तों कुछ ऐसे भी कलाकार थे जिन्होंने मिथुन के नक्शे कदम पर चलकर उनके जैसा बनने का प्रयास किया लेकिन सफलता हासिल न हो सकी उन एक्टरो में से एक हेमंत बिर्जे, हेमंत बिरजे की शुरुआत टार्जन जैसी हिट फिल्म से हुई जिसके बाद अपने कई इंटरव्यूज में उन्होंने अपनी तुलना मिथुन चक्रवर्ती से करनी शुरू कर दी जो इंडस्ट्री में बाहर से आया है जिसकी अच्छी खासी बॉडी है।
हालांकि हेमंत बिर्जे के पास ना तो मिथुन जैसा अभिनय कौशल था ना ही डांस टैलेंट, फिर भी हेमंत बिर्जे ने खुद को मिथुन जैसा साबित करने की कोशिश की लेकिन फिर भी असफल रहे। इन दोनों अभिनेताओं को फिल्म कमांडो में साथ काम करने का मौका मिला इस फिल्म में हेमंत बिर्जे को केवल शो पीस की ही तरह इस्तेमाल किया गया था।
जो की फिल्म से इतने निराश हुए की उन्होंने यहां तक आरोप लगा दिया की फिल्म में उनके रोल से खौफ खाकर उनका रोल कटवा दिया गया था लेकिन यह सभी बातें हेमंत बिर्जे का बड़बोलापन ही साबित हुआ और अगले दो सालों में वो सी ग्रेड हीरो की श्रेणी में आ गए
राज किरण
इस लिस्ट में अगला नाम आता है अभिनेता राज किरण का …राज किरण की एक्टिंग करियर की शुरुआत लगभग मिथुन के साथ हुई लेकिन अच्छे अभिनेता होने के बावजूद वो मिथुन से काफी पीछे रह गए इसका कारण यह था की जहां मिथुन पुरी लगन से मेहनत करते रहे और अपनी असफलता और बेइज्जती से हारे नहीं…..
वही राज किरण शराब के नशे में इतने मशगुल हो गए की अपने हाथों से अपना करियर गवां बैठे, कभी पतिता फिल्म में मिथुन के साथ लीड रोल करने वाले राज किरण ने कुछ ही सालों में घर एक मंदिर और प्यार का मंदिर जैसे फिल्मों में मिथुन के बिगड़े भाई की भूमिका में नजर आने लगे अफसोस राज किरण के करियर का अंत बेहद दर्दनाक हुआ।
गोविंदा
इसी तरह 80 के दशक में गोविंदा ने भी खुद को एक्शन और डांसर स्टार के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। उनको मिथुन के कॉम्पिटीटिव के रूप में देखा जाने लगा।
जो उनके ही तरह बहुत बढ़िया डांसर थे….पर वो बात अलग है की गोविंदा मिथुन को अपना आइडल मानते थे। यहां तक की गोविंदा की पहली फिल्म इल्जाम मिथुन की फिल्म स्वर्ग से सुंदर के साथ ही रिलीज हुई थी और दोनों ही फिल्में हिट साबित हुई थी, अपने करियर की शुरुआत में गोविंदा ने मिथुन की तरफ थोक में फिल्में की और एक्शन स्टार बनने का भरपूर कोशिश किया लेकिन गोविंदा को असली मुकाम एक्शन के जगह पर कॉमेडी फिल्में करके मिली।
गोविंदा के करियर में सिर्फ एक ऐसा मौका आया जब उन्होंने मिथुन के साथ काम किया और वो फिल्म थी जीते हैं शान से, इस फिल्म के टाइटल सॉन्ग में गोविंदा और मिथुन दा साथ में नाचते हुए नजर आए जो इन दोनों का साथ में एकमात्र गीत रहा जिसमें दोनों एक फ्रेम में नाचते दिखे, गोविंदा को बेशक 90 के दशक में कामयाबी मिली लेकिन अपने गुरु के बराबरी वह नहीं कर सके और ना ही इतने समझदार रहे की पैसा कही निवेश कर पाए। जहां मिथुन ने 90 के दशक में भी बी ग्रेड फिल्में करके करोड़ो रुपयो के होटल और बिजनेस खड़ा किया वहीं गोविंदा का जब बुरा समय आया तो बी ग्रेड फिल्मों में अपनी सारी जमा पूंजी गवां दी।
अमिताभ बच्चन
आखिर में हम चलते हैं अमिताभ बच्चन की ओर वैसे तो दोनों ही अभिनेता इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टार माने जाते हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब मिथुन नाम के आंधी के आगे अमिताभ बच्चन का सिंहासन डगमगाने लगा था।
फिल्म प्यार झुकता नहीं की अपार सफलता के बाद मिथुन चक्रवर्ती को अमिताभ बच्चन का उत्तराधिकारी समझा जाने लगा। एक फिल्म मैग्जिन में छापा गया था की क्या मिथुन चक्रवर्ती अगले नंबर वन हीरो है?
उसी लेख में कहा गया क्योंकि अमिताभ ने राजनीति में जाने का फैसला कर लिया है धर्मेंद्र और जितेंद्र की उम्र ढलने लगी है और अनिल कपूर जैकी श्रॉफ अभी नए हैं। ऐसे में फिलहाल अगर अमिताभ की कुर्सी का कोई उत्तराधिकारी दिखता है तो वो मिथुन चक्रवर्ती हैं।
मिथुन चक्रवर्ती ने 1985 में लगातार तीन हिट फिल्में दी थी। प्यार झुकता नहीं ,प्यारी बहना और गुलामी जिसके बाद वो जितेंद्र को हटाकर इंडस्ट्री के दूसरे सबसे बड़े स्टार बन गए थे। इसके साथ ही मिथुन ने इस भ्रम को भी तोड़ दिया की वो रोमांटिक और इमोशनल भूमिकाएं नहीं कर सकते प्यार झुकता नहीं से पहले मिथुन खुद कहा करते थे की जो भी फिल्म में रोता हूं वो फ्लॉप हो जाती है, फिर चाहे वो फिल्म सितारा हो या सुन सजना पर।
फिल्म प्यार झुकता नहीं के बाद फिल्म समीक्षकों ने लिखा की मिथुन ने साबित कर दिया है कि वो रैंबो भी बन सकते हैं और देवदास भी एक बार हुआ यूँ कि मिथुन के कारण अमिताभ की मेगा बजट फिल्म फ्लॉप हो गई इस फिल्म का नाम था अग्निपथ जिसमें मिथुन ने सहायक भूमिका निभाई थी ये वो दौर था जब लोगों को आकर्षित करने के लिए और अमिताभ के डूबते करियर को सहारा देने के लिए मिथुन को अमिताभ की फिल्म के लिए साइन किया जाता था, यह कोशिश गंगा जमुना सरस्वती में भी हुआ था।
फिल्म अग्निपथ को वाहवाही तो बहुत मिली लेकिन फिल्म अपना बजट भी नहीं निकाल पाई, फिल्म के असफलता का बहुत बड़ा रीजन था। इसको बनने में होने वाली देरी, फिल्म की शूटिंग तो 1987 में ही शुरू हो गई थी लेकिन इसको बनने में दो से ढाई साल का वक्त लग गया इस दौरान कई फिल्में रिलीज हुई जैसे, फिरोज खान की दयावान, जैकी श्रॉफ की परिंदा और मिथुन चक्रवर्ती की मुजरिम आदि यहां तक की मिथुन की मुजरिम और अमिताभ की अग्निपथ दोनों ही मशहूर हॉलीवुड फिल्म ऑस्कर फिल्म से प्रभावित होकर बनाई गई थी। जब अग्निपथ बननी शुरू हुई तो यह विषय नया था लेकिन फिल्म के रिलीज होते होते इस विषय पर कई फिल्में बन गई।
मिथुन चक्रवर्ती की मुजरिम 1989 में रिलीज हुई और खूब सफल रहे लेकिन अमिताभ अग्निपथ में वो जादू नहीं दोहरा पाए और फिल्म फ्लॉप हो गई। ऐसे ही जाने कितने एक्टर थे जो मिथुन के साथ आए लेकिन उनसे पीछे रह गए।
हमे उम्मीद है कि, आप सभी को हमारा यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा जिसके लिए आप हमारे इस आर्टिकल को लाइक, शेयर व कमेंट करेगे।