6 Ayurvedic Health Tips to Stay Healthy in the Rainy Season.
6 Ayurvedic Health Tips to Stay Healthy in the Rainy Season.:वर्षा ऋतु, जिसे मानसून ऋतु या आर्द्र ऋतु भी कहा जाता है, वह अनुकूल ऋतु है जब ठंडा वातावरण भीषण गर्मी से राहत देता है। यह आसपास के वातावरण को बदल देता है क्योंकि तापमान कम हो जाता है और वातावरण ठंडा हो जाता है।

वर्षा का पानी कई तरह से उपयोगी होता है, जैसे पौधों, पेड़ों और फूलों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। जब वर्षा ऋतु आती है, तो वर्षा का पानी ज़मीन में जमा हो जाता है जिसका उपयोग बीज अपने विकास के लिए करते हैं।
साथ ही, वर्षा नदियों और झीलों का जल स्तर बढ़ाती है, जिससे जानवर इस पानी का उपयोग पीने के लिए कर सकते हैं। व्यक्ति वर्षा जल संचयन विधि का उपयोग करके इस वर्षा जल का भंडारण कर सकते हैं।

दूसरी ओर, हालाँकि वर्षा ऋतु के कई लाभ हैं, हम इस नकारात्मक तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि मानसून का मौसम मच्छरों और जलजनित बीमारियों, जैसे सामान्य फ्लू, वायरल बुखार, सर्दी, खांसी, गले में खराश, मलेरिया, डेंगू, हैजा, टाइफाइड, पाचन संबंधी गड़बड़ियों, के प्रजनन का मौसम होता है।
इस प्रकार, मानसून के मौसम में अक्सर होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लगातार कमज़ोर होने के कारण, और भी जटिल हो जाती हैं। मानसून के दौरान आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा काफ़ी महत्वपूर्ण है। इसलिए, इस ब्लॉग में, हमने बरसात के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए 10 बेहतरीन आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सुझावों का उल्लेख किया है।

बरसात के मौसम में होने वाले रोग और उनसे बचाओ के उपाए |
जलजनित रोगों

मानसून के मौसम में आप जलजनित रोगों से खुद को कैसे बचा सकते हैं? जलजनित रोगों से बचने के कई तरीके हैं, जैसे बिना फ़िल्टर किए पानी का सेवन न करना। केवल उबला हुआ या शुद्ध पानी ही पिएँ और कच्चा या तैलीय भोजन खाने से बचें। खाने से पहले हमेशा अपने हाथों को साफ़ पानी से अच्छी तरह धोएँ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता

बरसात के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी बहुत ज़रूरी है क्युकि मानसून के दौरान, नमी और सीलन बढ़ जाती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, सर्दी, खांसी और फ्लू जैसी आम बीमारियों से शरीर की रक्षा करने में रोग प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जड़ी-बूटियाँ

कुछ सामान्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। जैसे तुलसी, गिलोय और अश्वगंधा इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं। ये जड़ी-बूटियाँ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाने और संक्रमणों से बचाने में मदद कर सकती हैं।
आयुर्वेद

बरसात के मौसम में होने वाली कुछ खास बीमारियों में मदद कर सकता है ‘आयुर्वेद’। आयुर्वेद बरसात के मौसम में होने वाली आम बीमारियों जैसे सर्दी-ज़ुकाम, खांसी और अपच के लिए कुछ प्राकृतिक उपचार प्रदान करता है। हर्बल चाय, खान-पान में बदलाव और साफ़-सफ़ाई के कुछ आयुर्वेदिक तरीके इन स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।
साफ़-सफ़ाई

मानसून(बरसात) के दौरान स्वस्थ रहने के लिए कुछ साफ़-सफ़ाई के नियम हैं जिनका पालन सभी को करना चाहिए क्योंकि संक्रमण से बचाव के लिए अच्छी साफ़-सफ़ाई बेहद ज़रूरी है। उदाहरण के लिए, नीम और तुलसी जैसी एंटीसेप्टिक जड़ी-बूटियों से नियमित रूप से स्नान करें, जिनमें आपकी त्वचा की सुरक्षा के लिए जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं।
हल्का और ताज़ा खाना

बरसात के मौसम में हमें हल्का और ताज़ा खाना, खाना चाहिए क्युकि हल्का खाना पचने में आसान होता है और कच्चे खाने की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित भी होता है, क्योंकि कच्चे खाने में बैक्टीरिया हो सकते हैं। पका हुआ और स्वास्थ्यवर्धक खाना पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और पेट की समस्याओं से बचाने में मदद कर सकता है।