Deepak Tijori: दोस्तों 90 के दशक में एक अभिनेता अपने बेजोड़ अभिनय से लोगों के दिलों पर राज किया करता था। मेन लीड न सही पर हीरों के दोस्त या साइड हीरो के रोल में जान डाल देता था। जिसका नाम था ‘Deepak Tijori’, मगर क्या आपको पता है महेश भट्ट की गंदी पोलिटिक्स ने कैसे दीपक का करियर तबाह कर दिया था, और रही सही कसर उनकी बीवी ने पूरी कर दी। चलिये आज हम आपको दीपक तिजोरी की बर्बादी की पूरी कहानी सुनाते हैं जिसे जानकर आपका दिल भी रो उठेगा….
दोस्तों 90s के दौर में दीपक तिजोरी का जलवा हुआ करता था, हीरो का जिगरी दोस्त अगर दिखेगा तो वो दीपक ही होंगे। मगर क्या वो बॉलीवुड में साइड एक्टर ही बनने आये थे? नही… वो तो हीरो बनने वाले थे, मगर डायरेक्टर महेश भट्ट ने उनके साथ ऐसा गंदा खेल खेला की वो सारी जिंदगी साइड एक्टर ही बने रह गये। चलिए ये रोचक किस्सा सुनाने से पहले आपको बताते हैं की दीपक तो वकील थे फिर इस बॉलीवुड इंडस्ट्री में कैसे पहुँच गए? ये कहानी भी बड़ा दिलचस्प है…
शुरुआती जीवन
28 अगस्त 1961 के दिन बम्बई के साधारण से परिवार में दीपक तिजोरी पैदा हुए थे, माँ अच्छी डांसर और रेडियो कलाकार हुआ करती थी, वो चाहती थी की उनका एक बेटा अभिनय के क्षेत्र में आगे बढे, मगर पिता हकीकत जानते थे… उन्हौने बेटे को बता दिया था की पहले पढाई पूरी कर लो फिर कुछ करने की सोचना। हालाँकि उनको शुरू में अभिनय का कोई शौक नही था, वो तो नरसीमुंजी कालेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन कर रहे थे, इसी दौरान उनको एक्टिंग का चस्का लग गया और उन्हौने थिएटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया। थिएटर में उनके साथ आमीर खान, आशुतोष गोवारिकर और परेश रावल जैसे दिग्गज भी हुआ करते थे, उनको देख देखकर ही दीपक ने अभिनय सीखा, मगर वो समझ गये थे की अगर फिल्मो में फ्लॉप हुए तो घर चलाने के लिए कुछ तो करना होगा, इसी वजह से वकालत की पढाई करके वकील भी बन गये थे।
फ़िल्मी करियर
थिएटर के साथ ही घर चलाने के लिए कभी सी-रॉक होटल में नौकरी की तो कभी सिनेब्लेड्स मग्जिन में काम किया। मग्जिन में काम करते करते थोड़ी पहचान हो गयी और मोडलिंग के ऑफर आने लगे, मगर अब मन में था की हीरो तो बनना ही है, इसी वजह से अपनी पोर्ट फोलियो बनवाई और लगाने लगे प्रोड्यूसरो के ऑफिसो के चक्कर। लेकिन कहीं कोई बात ही नही बन रही थी, ऐसे करते हुए तीन साल बीत गये मगर कोई काम नही दे रहा था। अचानक किस्मत ने दस्तक दी, 1988 में एक फिल्म बनी थी ‘तेरा नाम मेरा नाम’, डायरेक्टर रमेश तलवार ने इनको सफ़ी इनामदार जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ एक रोल दे दिया, इस फिल्म से दीपक ने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा।
इसके बाद इनको पर्वत के उस पार, में तेरा दुश्मन और क्रोध जैसी फिल्मो में छोटे मोटे रोल मिले। मगर कोई पहचान नही बन पा रही थी। दोस्तों कम ही लोगों को पता होगा की थोड़ी किस्मत साथ दे गयी होती तो 1989 में मैंने प्यार किया फिल्म में भाग्यश्री के सलमान खान नही… दीपक तिजोरी होते। जी हाँ राजश्री प्रोडक्शन वाले प्रेम के किरदार के लिए ऑडिशन ले रहे थे, सैकड़ों युवकों ने ऑडिशन दिया था, मगर जिन दो एक्टरों को अंत में चुना गया था वो सलमान खान और दीपक तिजोरी थे। मगर सूरज बडजात्या का अंतिम फैसला सलमान के हक में चला गया और दीपक को वो प्रेम का किरदार मिलते मिलते रह गया था, अगर उस दिन किस्मत साथ दे जाती तो शायद दीपक की कहानी आज कुछ और होती।
वैसे उनकी किस्मत बदलने वाली फिल्म अब भी उनका इन्तजार कर रही थी। 1990 में महेश भट्ट की फिल्म आई आशिकी, राहुल रॉय हीरो और उनका सबसे अच्छा दोस्त बालू याने दीपक तिजोरी। फिल्म रिलीज होते ही ब्लाक बस्टर बन गयी और आशिकी के गीतों ने तो धूम मचाकर रख दी। इस फिल्म से दीपक तिजोरी का करियर रातोरात सातवे आसमान पर पहुँच गया, उनका स्टारडम उन दिनों किसी हीरो से कम नही हुआ करता था, डायरेक्टर फिल्म का हीरो बाद में साइन करते थे, पहले दीपक तिजोरी को हीरों के दोस्त के रोल के लिए एडवांस फीस दे दिया करते थे।
कम ही लोगो को पता होगा की एक फिल्म में रोल पाने के लिए अक्षय कुमार तक एक्टिंग में दीपक तिजोरी से हार गये थे, जी हाँ 1992 में आमीर खान की सुपरहिट फिल्म आई थी ‘जो जीता वही सिकंदर’ फिल्म में आमीर खान हिरो फाइनल हो गये थे अब सेकण्ड लीड हीरों के लिए ऑडिशन चल रहे थे, अक्षय कुमार और मिलिंद सोमन भी वो विलेन का किरदार हासिल करना चाहते थे, दीपक तिजोरी भी ऑडिशन के लिए पहुचे, डायरेक्टर मंसूर खान ने सबसे एक्टिंग करवाकर देखी और अक्षय कुमार जैसे अभिनेता रिजेक्ट हो गये थे और दीपक तिजोरी को वो रोल मिल गया था। इस रोल से दीपक ने खूब नाम कमाया था।
दीपक का स्टारडम तो अक्षय कुमार ने भी देखा था। 1992 में खिलाड़ी फिल्म में भी दीपक को अक्षय के दोस्त का रोल मिला था, एक दिन की बात है, मुंबई के चेम्बूर में शूटिंग चल रही थी, दर्शक वहां शूटिंग देखने पहुचे थे, उनको जैसे ही पता लगा की दीपक वहां आने वाले हैं तो भारी भीड़ लग गयी, जैसे ही वो पहुचे वहां मौजोद भीड़ अक्षय कुमार को छोड़कर दीपक तिजोरी को घेरकर खड़ी हो गयी, ये नजारा दुर से अक्षय कुमार भी देख रहे थे, इसी वजह से उनको खतरा महसूस होने लगा था। कहते हैं इसी वजह से अक्षय ने खिलाड़ी फिल्म का क्लाइमेक्स ही बदलवा दिया था, आखिरी सीन में दीपक तिजोरी को दोस्त अक्षय की बाहों में दम तोड़ना होता है। अक्षय समझ गये थे की अगर ऐसा हुआ तो दीपक का किरदार उनपर भारी पड़ जायेगा, इस वजह से उन्हौने अब्बास मस्तान को कहकर यह सीन बदलवा दिया था, इसी फिल्म ने अक्षय को स्टार बनाया था। फिर भी उस दौर में दीपक तिजोरी के नाम का सिक्का चला करता था।
आशिकी, जो जीता वही सिकंदर, खिलाडी, बादशाह, अंजाम, कभी हाँ कभी ना, सड़क, बेटा और गैंगस्टर जैसी कई फिल्मो में सेकंड लीड रोल में बहुत मशहूर हो गये थे।
गुलाम फिल्म का चाला और वास्तव का इंस्पेक्टर किशोर कदम का किरदार तो आज भी लोग याद करते हैं। मगर दोस्तों क्या वो हीरो के दोस्त बनने ही बॉलीवुड आये थे? क्या वो साइड रोल करने का सपना लेकर हिंदी सिनेमा में पहुंचे थे? जी नही वो हीरो बनने आये थे, मगर डायरेक्टर महेश भट्ट के गंदे खेल ने उनको इंडस्ट्री का साइड हीरो बनाकर रख दिया। हुआ ये की महेश भट्ट उस समय आशिकी फिल्म बनाने जा रहे थे, दीपक और महेश की मुलाक़ात हुयी तो महेश ने इनको हीरो का रोल ऑफर कर दिया था, दीपक तिजोरी बहुत खुश थे मगर फिर अचानक महेश भट्ट की मुलाकात उनकी दोस्त इन्दिरा रॉय से हुयी और वो दीपक से किया वादा भूल गये और इंदिरा के बेटे राहुल रॉय को हीरो बना दिया, दीपक ने जब नाराजगी जताई तो बोले तुमको हीरो के दोस्त का रोल दे रहा हूँ उसी में खुश रहो, दीपक को मज़बूरी में वो रोल करना पड़ा, किरदार तो काफी हिट हुआ मगर उस दिन के बाद उनके हीरो बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया। महेश भट्ट के खेल ने उनको हिंदी सिनेमा का का साइड हीरो बनाकर रख दिया।
दीपक के जितनी भी फिल्मे आयीं सबमे वो हीरो के दोस्त के रोल ही पा सके। एक बार आशुतोष गोवारिकर ने पहला नशा फिल्म में उनको हीरो तो बनाया लेकिन लोग दीपक तिजोरी को साइड हीरो के रूप में देखने के इतने आदी हो गये थे की उनकी फिल्म फ्लॉप हो गयी।
मगर फिर वो दौर आया जिसने इनको गुमनाम ही कर दिया, अक्षय कुमार, अजय देवगन और सुनील शेट्टी तीनो ऐसे अभिनेता उस दौर में आये जिनकी फिल्मे हिट हो रह थी। वो मुख्य हीरो भी बन जाते और साइड हीरो बनने से भी को परहेज नही करते। कभी अक्षय और अजय की जोड़ी तो कभी अक्षय और सुनील शेट्टी की जोड़ी, तो कभी सुनील और अजय देवगन की जोड़ी की कई फिल्मे आने लगी, इन तीनो की वजह से दीपक के पास के हीरो के दोस्त के ऑफर आने कम होने लगे। एक समय तो ऐसा आया दीपक के पास रोल आने ही बंद हो गये और वो धीरे धीरे गुमनाम होने लगे।
पत्नी ने भी नहीं दिया साथ
दोस्तों किसी के प्रोफेशनल करियर में बुरा दौर चल रहा हो तो उसे घर का ही सहारा होता है मगर यहाँ से भी उनको तगड़ा झटका मिल गया। इधर उनका करियर डूब रहा था उधर उनकी शादी शुदा जिंदगी ने भी उनको तबाह कर दिया। आपको 90s के दौर की एक अभिनेत्री याद होगी ‘कुनिका सदानंद’ उनकी एक बहन थी शिवानी, दीपक को शिवानी से प्यार हो गया था, दोनो ने साल 1997 में शादी कर ली, दोनों के दो बच्चे हुए बड़ी बेटी समारा और छोटा बेटा करन। शिवानी फैशन डिजाइनर थी और उनका गोरेगांव में बड़ा फ्लेट था, दीपक उनके साथ ही रहते थे मगर कुछ समय बाद दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गये। कहते हैं शिवानी ने अपने फ्लेट में सिर्फ एक कमरा दीपक को दिया था इसके अलावा वो कहीं आ जा नही सकते थे, इतना ही नही नौकरों को साफ आदेश था की न कोई दीपक को खाना देगा न ही उनके कमरे की सफाई करेगा, इसी वजह से दीपक काफी परेशान रहते थे। फिर बाद में उनकी बीवी ने ही उनको अपने घर से ही निकाल दिया और एक अभिनेता सड़क पर आ गया।
कभी वो अपने माँ बाप के घर तो कभी किसी दोस्त के घर किराये पर रहा करते। दीपक ने परेशानियों से एक बार फिर उठने की कोशिश की थी जब उन्हौने फिल्म डायरेक्शन में हाथ आजमाया, मगर यहाँ भी उनकी किस्मत दगा दे गयी। टॉम डिक और हैरी, फॉक्स और ख़ामोशी खौफ की एक रात जैसी फिल्मो में वो डायरेक्टर बने, मगर सारी फिल्मे बुरी तरह फ्लॉप हो गयी और दीपक पूरी तरह से ताबह हो गये।
इन दिनों वो मुंबई में रहते हैं और वेब सीरिज में छोटे-मोटे रोल कर गुजारा कर रहे हैं।
अभी के लिए बस इतना ही…. आपको दीपक तिजोरी की एक्टिंग कैसी लगती है और उनकी कौन सी फिल्म आपको अच्छी लगती है कमेन्ट करके जरूर बताइयेगा। धन्यवाद्