Baba Sehgal: आज का दौर Rap-Pop म्यूजिक का है, चारों ओर रैप म्यूजिक ही छाया हुआ है, आज के समय में एक से बढ़कर एक रैपर हमारे भारत में मौजूद हैं, लेकिन क्या आपको पता है भारत में रैप सोंग की शुरुवात किसने की?, नही जानते हैं तो आज हम आपको बताने वाले हैं उस र्रैपर के बारे में, लेकिन क्या आपको पता है ज्यादा शोहरत और कामयाबी ने ही उनको पूरी तरह तबाह कर दिया था।
आज इस आर्टिकल हम आपको बाबा सहगल के रैप सिंगिग स्टार बनने से लेकर उनका करियर तबाह होने की पूरी कहानी के बारे में बताने वाले हैं।
दोस्तों 90 के दशक में बाबा सहगल ही वो नाम है जिसने रैप म्यूजिक की शुरुआत की। उस दौर में हर जुबान पर इनका ही नाम रहता था, उनके गाये गीत आज मेरी गाड़ी में बैठ जा, हकुना मटाटा जैसे गाने लोगों के बीच खूब धूम मचाई थी। 90 के दशक में उनकी जैसी शोहरत किसी को हासिल नही हुयी थी।
शुरुआती जीवन
बॉलीवुड में रैपर पॉप सिंगर तो कई आये मगर बाबा सहगल जैसा कोई नही आया, न कोई आयेगा। इनकी कहानी शुरू होती है युपी की राजधानी लखनऊ से जहाँ वो एक मिडिल क्लास फेमिली में 23 नवम्बर 1965 को पैदा हुए थे। पिता सरकारी नौकरी करते थे और बेटे हरजीत सिंह सहगल को इंजिनियर बनाना चाहते थे। अब हरजीत सिंह सहगल कैसे बाबा सहगल बना और इंजिनियर से कैसे पॉप गायक बन गया? ये कहानी बड़ी दिलचस्प है।
लखनऊ के कान्वेंट तालूकेदार कोलेज में बाबा का दाखिला करवा दिया गया, वो बस परिवार के दवाब में पढाई करते लेकिन बचपन से मन किशोर कुमार के गाने सुनने में ज्यादा लगता, खासकर उनका गीत ‘मेरे सपनो की रानी कब आयेगी तू’, घर पर कोई भी मेहमान आता तो माँ बाबा से बोलती किशोर वाला कोई गीत सुना दो तो बाबा भी ‘सपनो की रानी सुना देते, खूब तालियाँ मिलती तो किशोर दा जैसे गायक बनने का सपना देखने लगे। घर पर लेटे-लेटे सोचते की मुंबई जाकर बड़ा सिंगर बनूँगा तो हरजीत सहगल नाम सही नही लगेगा, घर वाले बब्बू कहकर पुकारा करते तो सोचे बब्बू सहगल भी ठीक नही रहेगा, फिर इनके दिमाग में एक दिन बब्बू से बाबा नाम आ गया, बस उसी दिन फाइनल कर लिया की बम्बई गया तो बाबा सहगल ही नाम बताया करूँगा।
बस यही से हरजीत सहगल बाबा सहगल बन गये, पिता इंजिनियर बनाना चाहते थे तो इंटर पास हुए तो इनका दाखिला उत्तराखंड की जी.बी.पन्त यूनिवर्सिटी में करवा दिया, वहां से इलेक्टिकल इंजिनियर बनकर निकले तो परिवार के दवाब में इलाहाबाद में नौकरी भी शुरू कर दी, दो साल वहां काम किया फिर दिल्ली में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गयी। अब बाबा का करियर सेट हो गया था, पर किस्मत को तो इन्हें पॉप रैप सिंगर बनाना था तो कैसे उन्हें इंजिनियरिंग में मन लगता।
करियर
एक दिन घर पहुंचे और माँ को साफ बोल दिया की 9 से 5 की नौकरी अब नही करनी, मैं मुंबई जा रहा हूँ सिंगर बनने, माँ हैरान..बोली अरे तुम्हारी इतनी अच्छी नौकरी है, अच्छी सैलरी है, अब तुम्हारी शादी होगी, बच्चे होंगे… इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर कैसे तुम बम्बई जाओगे, मगर बाबा ने साफ बोल दिया की उनको शादी, बच्चे और नौकरी नही करनी, किशोर दा जैसा बड़ा सिंगर बनना है। खैर बाबा के इंजिनियर बनने की ख़ुशी में उनके पिता ने मारुती 800 कार पेंशन के रुपयों से लेकर उनको गिफ्ट की थी, 1990 में 24-25 साल की उम्र में वो उसी कार से दिल्ली से बम्बई पहुँच गये, वहां उन दिनों बाबा का एक दोस्त अतुल चूड़ामणि रहा करता था जो महशूर कंपनी मेगना साउंड में मैनेजर था, उन दिनों मेगनासाउंड अकेली ऐसी कंपनी थी जो बॉलीवुड संगीत को टक्कर देती थी और नये सिंगर्स को अवसर भी।
दोस्त की मदद से मेगना साउंड ने बाबा के दो ऑडियो एल्बम निकालने का फैसला कर लिया। 1990 और 91 में दो एल्बम आये, दिलरुबा और अली बाबा, मगर बाबा सहगल को बड़ा झटका लगा, वो दौर उदित नारायण और कुमार सानु और अलका याज्ञिक के रोमांटिक गीतों का था। बाबा के पॉप रैप गाने किसी को पसंद नही आये और दोनों अल्बम फ्लॉप हो गये। मेगनासाउंड ने बाबा के साथ आगे एल्बम निकालने से मना कर दिया। बाबा के सपने टूट गये, इधर पिता लखनऊ से फ़ोन करने लगे की आप घर आ जाओ, निराश होकर वो घर वापसी की तैयारी कर रहे थे की अचानक किस्मत ने धीरे से पलटी मारी।
1991की बात है की एक रात वो अपने दोस्त के घर टीवी देखने पहुंचे, उन दिनों एम टीवी भारत में नया नया लौंच हुआ था। उस पर वेनीला आइस का एक गाना आ रहा था आइस आइस बेबी, बाबा को इसकी धुन पसंद आ गयी, अगले ही दिन वो जुहू के पास एक होटल पहुंचे, वहां एक गाना लिखा और सीधा मेगनासाउंड कंपनी पहुँच गये, दोस्त अतुल के साथ पूरी कंपनी के बड़े अधिकारीयों को अपना गाना सुनाया तो तालियाँ बजने लगी, कंपनी के उस समय के बॉस शशी गोपाल ने तो सुनते ही एल्बम लौंच करने का एलान कर दिया, साल 1992 में बाबा का तीसरा ऑडियो आया ठंडा ठंडा पानी, एल्बम के 8 गानों ने धूम मचा दी। ऑडियो केसेट मार्किट में इतने बिके की बाज़ार से सारा स्टॉक ही गायब हो गया।
भारत के पहले रैपर बाबा सहगल की कामयाबी को टाइम ऑफ़ इंडिया ने दो महीने बाद पहले पन्ने पर उनकी बड़ी बड़ी खबर छापी थी। मगर अभी तो कामयाबी शुरू हुयी थी, कंपनी ने फैसला किया की ऑडियो से बात नही बनेगी, क्यों न वीडियो एल्बम निकाला जाए, फिर ठंडा ठंडा पानी एल्बम के एक गीत दिल धड़के मेरा दिल धड़के का वीडियो बना गया, बाबा के साथ एक्ट्रेस पूजा बेदी नजर आयीं, भारत के पहले हिंदी म्यूजिक वीडियो दिल धड़के के वीडियो ने धमाल मचा दिया। रेडियो से लेकर डीडी मेट्रो और एम टीवी हर ओर बाबा सहगल गूंजने लगे, उनका सिंगींग करियर रातोरात सुपर स्टार जैसा हो गया।
इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा, बाबा सहगल रोज नयी उंचाइयां छूते जा रहे थे। चाहे रोजा फिल्म के गीत रुकमनी रुकमनी का हिंदी वर्जन हो या फिर 1994 में आए उनके एल्बम डॉक्टर डींगरा का गाना मंजुला मंजुला, वही उनके एल्बम में भी मेडोना और बाबा बचाओना ने पॉप संगीत की आंधी चला दी। अब तो उनकी गायकी की खुशबु बॉलीवुड तक पहुँच गयी, 1994 में उनको बॉलीवुड फिल्म में हीरो का रोल ऑफर हो गया, इतना ही नही इसी फिल्म में अनु मलिक के साथ मिलकर एक गाना गाया जिसने रिलीज होते ही कोहराम मचा दिया, गीत था आजा मेरी बैठ जा, इस गीत के चार बाद यानी 1998 में रिलीज हुयी फिल्म मिस 420, भले ही ये फिल्म नही चली लेकिन ये गाना आज भी लोग गाते हैं। अब तो बॉलीवुड के गायकों को भी बाबा के रूप में एक बड़ा ख़तरा नजर आने लगा, हर ओर बाबा ही बाबा, मगर दोस्तों ज्यादा कामयाबी ही इनकी दुश्मन बन गयी, जिसने इनको बर्बाद कर दिया।
1997 की बात है हर ओर बाबा सहगल का नाम गूंज रहा था, मगर वो दौर मुंबई में अंडरवर्ल्ड का था। बाबा की शोहरत और कामयाबी अंडरवर्ल्ड तक पहुँच गयी, उनको भी बड़े माफिया के फ़ोन आने लगे। वो गाड़ी खरीदने जाते या सामान लेने के लिए तो उनको वसूली की धमकिया मिलने लगी, पहले तो वो इन धमकियों को नजरअंदाज करते गये, मगर एक दिन 12 अगस्त 1997 को खबर आई की गुलशन कुमार का मर्डर हो गया है, अब हर ओर दहशत का माहौल, बाबा को भी लगातार मर्डर की धमकी मिलती जा रही थी, गुलशन हत्याकांड से डरे बाबा ने देश छोड़ने का फैसला कर लिया। वो जान बचाने के लिए सिंगापूर भाग गए और वहां अपना कमाया हुआ पैसा निवेश कर दिया। मुंबई में भारी लोन पर बड़ी प्रोपर्टी ली थी मगर बदकिस्मती ने साथ नही छोड़ा, सिंगापूर में उनका काम नही चला, जीवन भर की कमाई निवेश में लगाई थी, वो डूब गयी, वसूली के लिए बैंकों के फ़ोन आने लगे, पूरी तरह से बर्बाद हो चुके बाबा सहगल को सिंगापूर छोड़कर वापस भारत आना पड़ा।
काम तलाश रहे थे तब उन्हें जीटीवी का म्यूजिक शो फिलिप्स टॉप टेन मिल गया जिसे वो जावेद जाफरी के साथ करने लगे मगर जिंदगी संभल नही रही थी। फिर एक दिन किस्मत ने थोड़ा साथ दिया, एक बार वो हैदराबाद एयरपोर्ट पर बैठे थे, अचानक चिरंजीवी वहां से गुजरे तो उनको पहचान लिया, उदासी की वजह पूछी तो बाबा ने पूरा हाल बता दिया, अगले ही दिन चिरंजीवी ने उनको फ़ोन किया और अपनी तेलुगु फिल्म रिक्शागोडू में एक गाना दे दिया, वो गीत था ‘रूप तेरा मस्ताना’ ये गाना हिट हो गया और तेलुगु फिल्म के दरवाजे बाबा के लिए खुल गये। थोड़ा काम मिलने लगा मगर दो साल वो संगीत सिखने अमेरिका चले गये। बस उनकी बर्बादी की रही सही कसर यही पूरी हो गयी, अमेरिका से वापस आये तो सब बदल चूका था कोई काम नही दे रहा था, सब भुला चुके थे। फिर Big Boss में नजर आये, तो साउथ फिल्मो में विलेन के छोटे मोटे रोल मिलने लगे, मगर अंडरवर्ल्ड की वजह उनका करियर पूरी तरह से तबाह हो चूका था। अमेरिका जाने के फैसले ने थोड़ी उम्मीद भी खत्म कर दी और भारत का पहला रैपर गुमनाम हो गया
वैसे इनकी निजी जिंदगी भी अच्छी नही रही, इन्होने अंजू नाम के लड़की से शादी की थी, दोनों का एक बेटा है जिसका नाम तनवीर है, बाबा और अंजू के रिश्ते सालों से अच्छे नही थे, साल 2009 में एक सीरियल की शूटिग के दौरान इनका अपने से कई साल छोटी असीमा नाम की लड़की से अफेयर हो गया, असीमा के प्यार में इन्होने अंजू को तलाक दे दिया और उनके साथ लिव इन में रहने लगे। इन दिनों बाबा मुंबई में ही गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं और युट्यूब पर गाने गाया करते हैं …
तो दोस्तों ये थी भारत के पहले रैपर बाबा सहगल की लाइफ स्टोरी …..