TRIPHALA BENEFITS:-आयुर्वेदिक चिकित्सा में, शरीर में तीन प्रकार की ऊर्जा या दोष के बारे में बताया गया है। वात, पित्त और कफ।
आयुर्वेद ग्रन्थ अस्तंग हृध्यम जिसे वाग्भट जी में हज़ारों साल पहले लिखा था। उन्होंने त्रिफला को अमृत के सामान बताया है।
त्रिफला
इन तीन दोषों को संतुलित करने से व्यक्ति खुद को सवस्थ रख सकता है। त्रिफला और इसका चूर्ण वात, पित्त व कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। जिससे आप कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से बचे रह सकते हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेदिक दवाओं की किताब, चरक सहिंता में सबसे पहले अध्याय में ही त्रिफला के बारे में उल्लेख किया गया है।
दोस्तों त्रिफला भयंकर से भयंकर रोगों को शरीर से ख़त्म करने की ताक़त रखता है। मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रोल, पेट की कोई भी बिमारी हो कब्ज़ एसिडिटी, अपच ब्लोटिंग किसी भी तरह की समस्या हो त्रिफला रामबाण की तरह काम करता है। मोटापा, पेट के अल्सर, बालों के खराब होने और समय से पहले सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।
इसके अलावा, यह त्वचा की समस्याओं का भी समाधान करता है। चेहरे की झुर्रियां, दाग, धब्बे और मुंहासे को दूर करने में त्रिफला हेल्पफुल है।
एक अध्ययन में पता चला है कि त्रिफला से कैंसर का इलाज संभव है और इसमें एंटी-कैंसर तत्व पाए गए हैं।
जोड़ों के दर्द या गठिया के लिए त्रिफला बहुत ही फायदेमंद है।
ये आंखों के लिए टॉनिक का काम करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण और प्रचुर मात्रा में मौजूद विटामिन-सी आंखों के लिए फायदेमंद है।
मौसम में थोड़ा-सा बदलाव होते ही सर्दी-जुकाम, बुखार व अन्य बीमारियां होना आम है। ऐसे में त्रिफला अच्छा विकल्प है। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होता है।
त्रिफला चिकित्सकीय एजेंट की तरह काम करता है। यह न सिर्फ वजन को कम कर सकता है, बल्कि शरीर का फैट भी कम करता है। जिम, व्यायाम या योग के साथ-साथ अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो कुछ ही दिनों में अंतर नजर आने लगेगा। जल्दी वजन घटाने के लिए त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिलाकर दिनभर में दो से तीन बार सेवन किया जा सकता है।
यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और हृदय को स्वस्थ रख सकता है और ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है।
वर्षों से आयुर्वेद में उपयोग किया जा रहा त्रिफला कई वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों से शरीर का बचाव करता है। त्रिफला चूर्ण में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल व एंटीकैंसर जैसे कई गुणों की वजह से यह वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों से बचाव करता है।
खून की कमी से सिरदर्द, थकान, चिड़चिड़ापन व चक्कर आने जैसी कई समस्याएं हो सकती है। कई बार तो खून की कमी जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए पौष्टिक आहार के साथ-साथ अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो इस परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
त्रिफला में मौजूद विभीतकी खून की कमी की समस्या को दूर कर सकता है। इसलिए, अपनी जीवनशैली में त्रिफला को शामिल करें।
हमारे शरीर को डिटॉक्सीफिकेशन की भी जरूरत होती है। हमारे शरीर में टॉक्सिक यानी विषैले तत्व जमा होने लगते हैं, जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। इससे कील-मुंहासे, अनिद्रा, पेट की समस्या व तनाव जैसी समस्याएं होने लगती है।
ऐसे में इन विषैले तत्वों का शरीर से बाहर निकलना जरूरी होता है। इसी को डिटॉक्सीफिकेशन कहते हैं। शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए त्रिफला अच्छा विकल्प है। इसे लैक्सेटिव की तरह उपयोग किया जाता है, यानी पेट साफ करने के लिए एक अच्छे डिटॉक्सीफाइंग एजेंट की तरह इसका उपयोग किया जाता है।
इसका एंटी-अर्थराइटिस असर गठिया की समस्या को कम कर सकता है। इतना ही नहीं इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया के सूजन को कम कर सकते हैं। जब भी किसी को हड्डियों में दर्द महसूस हो, तो एक चम्मच त्रिफला पाउडर एक गिलास पानी में मिलाकर पी लें।
त्रिफला का सेवन कैसे करें?
एक चम्मच त्रिफला पाउडर करीब 200 ml पानी में रातभर के लिए भिगोकर रख दें, अगले दिन सुबह इस मिश्रण को तब तक उबलते रहें जब तक इसका पानी आधा ना हो जाए, फिर इसे ठंडा होने के लिए रख दें। इससे चूर्ण नीचे बैठ जायेगा, इसके बाद पानी को छानकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
या एक कप पानी में दो छोटे चम्मच त्रिफला पाउडर मिलाकर करीब 30 सेकेंड तक उबालें, फिर इसे छान लें और ठंडा होने दें, इसे चाय की तरह पिएं, इसमें आप चाहें, तो नींबू का रस और अलसी के बीज भी मिला सकते हैं।